The Definitive Guide to अपना कौन है

सुरेश चन्द्र "सर्वहारा" प्रेरणादायक कविताएँ, हिंदी कविता संग्रह

सत्य से फेरकर कथा- कहानियों पर लगाएंगे।

-अवसायिन् [नखकेशानामन्तं अवसातुं छेत्तुं शीलमस्य, सो-णिनि]

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तुम नहीं जानती की कितने बादल तुम्हें छूने को तरसते हैं ये तुम नहीं जानती…

तुम नहीं जानती कितने लड़के तुम्हारे लबो को तरसते है तुम नहीं जानती

शायद ९०% से ज्यादा महिलाएं इसका उत्तर ना में देंगी। फिर जब आपको पता ही है तो इसका मातम क्यों मनाना? मैं खुद समर्थ हूँ अपने घर को चलाने के लिए। मेरे बच्चे मेरा घर मेरी जिम्मेदारी है मै स्वयं सक्षम हूँ। इस भावना के साथ सारी राहें आसान हो जाएंगी।

तुम्हें पाने की ख़ुशी में यादों से दूर निकल जाता हूँ,

चंदा मामा

और कभी read more बस ऐसे ही जिये जाने को दिल करता है।।

गर्मियों में घुटने click here भर भिगो कर जाते पार।

जो अकेले ही स्याह रातों को उजियारीत करता है….

किसी के पति बाहर के कामों जैसे कि राशन लाना, सब्जी लाना, बिजली/पानी के बिल भरना, बैंक के काम करना करते है तो किसी के पति खाना बनाने या बरतन धोने में पत्नी की website मदद करते है। अगर पड़ोसी का पति खाना बनाने में या बच्चों को पढ़ाने का काम करता है तो हरगिज़ वो आपके पति से बेहतर नहीं है। आराम से आँखे बंद करके सोचिए कोई न कोई तो अच्छाई आपके पति में होगी ही। तो फिर उसी में खुश होकर इतराइये।

भगवान के “चरण” ही उनकी “शरण” के लिए हैं

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